Tata Group : की RBI के साथ हुई ये बड़ी डील स्टॉक में आई अचानक तेजी

आईपीओ अपडेट

टाटा संस का आईपीओ

टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी, टाटा संस का आईपीओ, बाजार में काफी चर्चा में है। हाल ही में, कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, टाटा ग्रुप के शेयरों में 36 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी गई थी, सभी आईपीओ की उम्मीद में। लेकिन, अभी टाटा संस के आईपीओ में कुछ समय लगने की संभावना है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने टाटा संस को ‘उप्पर लेयर एनबीएफसी’ के रूप में वर्गीकृत किया था, जो कि एक विशेष प्रकार की वित्तीय संस्था है जिसे कड़ी नियामक दिशानिर्देशों का पालन करना होता है। इसका मतलब है कि टाटा संस को कुछ सख्त नियमों का पालन करना होगा, और भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, उन्हें सितंबर 2025 तक शेयर बाजार में सूचीबद्ध होना होगा।

लेकिन, इकॉनमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, टाटा संस ने आरबीआई से इस अनिवार्य सूचीबद्धता से छूट मांगी थी, लेकिन आरबीआई ने किसी भी प्रकार की रियायत देने से इनकार कर दिया। इसके बाद, टाटा संस अब आरबीआई के नियमों के अनुरूप अपने आप को ढालकर, शेयर बाजार सूचीबद्धता से बचने के लिए कुछ तरीकों पर विचार कर रही है।

एक और रोचक बिंदु है कि, अगर टाटा संस अपनी संपत्तियों को प्रबंधित करते हुए, कुछ विशेष शर्तों को पूरा करता है, तो वे आरबीआई के कुछ नियमों से बच सकते हैं। जैसे कि, अगर उनकी मूल निवेश कंपनी के पास 100 करोड़ रुपये से कम की संपत्ति है और वह सार्वजनिक फंड नहीं जुटाती है, तो वह सीआईसी या ‘उप्पर लेयर’ एनबीएफसी के रूप में वर्गीकृत होने से बच सकती है।

सूत्रों ने सीएनबीसी टीवी-18 को बताया कि टाटा संस की सूचीबद्धता में अभी समय लगेगा। टाटा संस और टाटा कैपिटल के बीच का संभावित अलगाव, और समूह के कर्ज को कम करने की दिशा में कुछ प्रयास भी विचाराधीन हैं।

इस तथ्य को समझना महत्वपूर्ण है कि टाटा संस का आईपीओ न केवल निवेशकों के लिए, बल्कि पूरे वित्तीय क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण घटना होगा। यह न केवल शेयर बाजार को प्रभावित करेगा, बल्कि यह भी दिखाएगा कि किस प्रकार बड़ी कंपनियां आरबीआई के नियमों के अनुरूप खुद को ढालकर उनका पालन करती हैं।

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